BSF मना रहा आज 59वां स्थापना दिवस, गृहमंत्री अमित शाह ने शहीदों के बलिदान को किया याद

नई दिल्लीः सीमा सुरक्षा बल आज अपना 59वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस खास मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खास अतिथि के रूप में शिरकत करने पहुंचे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ड्यूटी के दौरान प्राणों का बलिदान देने वाले बीएसएफ कर्मियों को श्रद्धांजलि दी.

अमित शाह ने कहा कि BSF हमेशा मुस्तैद रहती है. हालांकि शहीदों के परिजनों की भरपाई नहीं कर सकते है. इतना ही नहीं BSF देश को सुरक्षित रखता है. ये देशवासियों की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात रहते है. दीपावली, होली, छठ सीमाओं पर मनाते हैं. वहीं आगे शाह ने बीएसएफ की तारीफ करते हुए कहा कि परेड में एक भी कमी नहीं. 

पाकिस्तान से युद्ध के बाद हुई स्थापनाः
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1 दिसंबर, 1965 को स्थापित, बीएसएफ ने भारत की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1965 के युद्ध के बाद, भारतीय सीमाओं पर घुसपैठ, तस्करी और सैन्य आक्रमण के कारण एक विशेष बल की आवश्यकता स्पष्ट हो गई थी. तब एक संसदीय प्रस्ताव के माध्यम से बीएसएफ का गठन किया गया था. प्रारंभ में सीमा सरक्षा बल में विभिन्न राज्य सशस्त्र पुलिस बटालियनों के कर्मी शामिल थे, अब सीमा सरक्षा बल में लगभग 2.65 लाख जवान हैं, बीएसएफ में 193 नियमित बटालियन, 4 एनडीआरएफ बटालियन, 7 तोपखाने की इकाइयां, 8 वाटर विंग और 1 एयर विंग शामिल है. 

दक्षिण बंगाल सीमा पर बीएसएफ जवान सोने के तस्करों से एक कदम आगे रहते हुए किसी भी अवैध गतिविधियों और तस्करी के उभरते नए तरीकों को विफल कर रहे हैं. उनका सक्रिय दृष्टिकोण और गहरी समझ उन्हें तस्करों के किसी भी प्रयास को तेजी से नाकाम करने में माहिर बनाती है. वर्ष 2023 में बीएसएफ के जवानों का 153 किलोग्राम सोना जिसका मूल्य 92 करोड़ से अधिक है को जब्त करना, उनकी लगातार सफलता को दर्शाता है. 

बीएसएफ और बीजीबी द्वारा किए गए सहयोगात्मक उपाय न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी अभिन्न हैं. सहयोग और संचार की संस्कृति को बढ़ावा देकर, दोनों सेनाएं एक स्थिर और सुरक्षित सीमा क्षेत्र में योगदान करती हैं.