VIDEO: गैस वितरकों से अवैध वसूली! IOCL के चीफ जनरल मैनेजर को लिखा पत्र, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: जोधपुर के शेरगढ़ में गैस दुखान्तिका मामले में तेल कंपनियों द्वारा पीड़ितों की मुआवजा राशि भरपाई के लिए गैस वितरकों से अवैध वसूली का मामला सामने आया है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की फील्ड ऑफिसर गैस वितरकों से 10 हजार से ₹15000 तक राशि वसूलने के लिए दबाव बना रहे हैं. इस अवैध वसूली से गैस वितरकों में आक्रोश है और उन्होंने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चीफ जनरल मैनेजर कुलविंदर सिंह को पत्र लिखकर कड़ा विरोध जताया है. 

जोधपुर के शेरगढ़ में पिछले दिनों हुई गैस दुखान्तिका के मामले में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के फील्ड ऑफिसर्स द्वारा पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर कंपनी के गैस वितरकों से अवैध वसूली का मामला सामने आया है. इस मामले में एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ऑफ राजस्थान के महासचिव कार्तिकेय गौड़ ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चीफ जनरल मैनेजर कुलविंदर सिंह को पत्र लिखकर अवैध वसूली को अभलंब रुकवाने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है. दरअसल राज्य के सभी जिलों से इंडियन ऑयल के ग्रामीण तथा शहरी वितरकों के मेसेज आ रहे हैं कि उनके फील्ड ऑफिसर जोधपुर (शेरगढ़) गैस त्रासदी के नाम पर 5000 से 10000 रुपए मांग रहे हैं. 

इस मामले में कार्तिकेय गौड़ ने बताया कि वितरक बहुत ही मामूली मार्जिन पर कार्य कर रहे हैं. सभी वितरक ग्राहक की इंश्योरेंस का पैसा प्रति सिलिंडर अपने कमीशन (मार्जिन मनी) में से देते हैं. इस प्रकार की त्रासदी के लिये राज्य के सभी ग्रामीण तथा शहरी वितरकों से पैसे मांगे जाना न्यायोचित नहीं है. तीनों आयल कंपनियों द्वारा भी किसी भी दुर्घटना की स्थिति में आईसीआईसीआई लोम्बारड जनरल इंश्योरेंस से बीमा लिया हुआ है. पिछले दिनों खुद इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास के साथ हुई बैठक में बताया था कि सभी प्लांट में करोड़ों रुपये की आधुनिक मशीनरी लगी हुई है जिससे विभिन्न सुरक्षा मानकों से गुजरकर सिलिंडर भरे जाते हैं और इसमें लीकेज की संभावना नहीं रहती है, परन्तु इसके विपरीत भी जोधपुर (शेरगढ़) में गैस लीकेज के कारण हादसा हुआ है, जिसकी नैतिक जिम्मेदारी इंडियन आयल की बनती है. 

यह तेल कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बॉटलिंग प्लांट से सेफ एवं साउंड सिलिंडर ग्राहक को दें. कार्तिकेय गौड़ का कहना है कि इंडियन ओईल जैसी 'महारत्न' कंपनी से अपेक्षा की जाती है कि वो ग्राहकों के प्रति संवेदनशील हो एवं वह स्वयं पहल कर सभी पीड़ितों की मदद करे तथा ज़्यादा गंभीर मरीज़ों का देश के अन्य सुपर स्पेशियल्टी अस्पतालों में इलाज करवाये. जिससे इस दुखान्तिका में रोज़ हो रही मृत्यु को रोका जा सके. परन्तु यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि प्रधानमंत्री के संवेदनशील प्रशासन के आदेश के बावजूद इंडियन ऑयल के किसी भी शीर्ष अधिकारी ने इस दुखान्तिका के पीड़ितो तथा परिजनों से न तो मुलाक़ात की और न ही किसी भी प्रकार की कोई सहायता प्रदान की. 

पत्र में आग्रह किया गया है कि कॉरपोरेशन की तरफ़ से पीड़ितों को आर्थिक सहायता दी जाए, सभी गंभीर मरीज़ों का देश के जाने माने सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में इलाज करवायें तथा आश्रितों को नौकरी भी दिलवायें. इस प्रकार की त्रासदी तथा जनहानि के लिये कारपोरेशन को स्वयं मदद करनी चाहिये ना कि वितरकों से पैसा माँगना चाहिये. ये अनैतिक है और अस्वीकार्य है. गैस दुखान्तिका पीड़ितों को मुआवजे के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा अपने वितरकों से अवैध वसूली का मामला गरमा गया है. फेडरेशन के पत्र के बाद अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. उम्मीद की जानी चाहिए कि कंपनी इस मामले में संवेदनशीलता दिखाएगी और अवैध वसूली करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ ही पीड़ितों को भी जल्द आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी.