Barmer News: 15 वर्ष पहले मजदूरी करने गांव छोड़कर गया था गुजरात, बेटी को पढ़ा लिखा कर बनाया असिस्टेंट प्रोफेसर, जिले की पहली आदिवासी समुदाय की बेटी बनी प्रेरणा

बाड़मेर: कहते हैं कोई इंसान किसी चीज को शिद्दत से चाहे तो वह हासिल करके ही रहता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले के सुदूर गांव बिंजा सर में रहने वाले आदिवासी मजदूर भानजी भाई ने.

भानजी भाई आज से करीब 15 वर्ष पहले घर के आर्थिक हालात कमजोर होने के कारण अपना गांव छोड़कर मजदूरी करने गुजरात चला गया. वहां पर घरों में मार्बल फिटिंग करने का काम शुरू किया और काम करने के साथ-साथ अपने बच्चों की पढ़ाई पर भी ध्यान दिया. मांझी भाई ने मेहनत में कभी कोई कमी नहीं की और अपनी बेटी को इतना पढ़ाया कि उस बेटी ने पिता का नाम रोशन कर दिया है.

समाज में नई मिसाल कायम की:
भानजी राम भील की बेटी रमीला बाड़मेर जिले की पहली आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली बेटी होगी जो गुजरात में असिस्टेंट प्रोफेसर बनी है. ना केवल रमिला बल्कि उसका पति भी असिस्टेंट प्रोफेसर है जिसका भानजी भाई को गर्व है. मूल रूप से बाड़मेर जिले के बीजासन निवासी भांजी भाई की बेटी और दामाद गुजरात के पीजी कॉलेज पाटन में असिस्टेंट प्रोफेसर है और इन दोनों की 6 महीने पहले ही शादी हुई है. विकट हालात व सामाजिक बंदिशों के बावजूद दोनों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर समाज में नई मिसाल कायम की है.