9 अप्रैल से शुरु हो रहे है चैत्र नवरात्र, घोड़े पर सवार होकर आएगी माता रानी, जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

जयपुर: चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है. इस साल इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से प्रारंभ हो रहे हैं, जिसका समापन 17 अप्रैल होगा. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि मंगलवार 9 अप्रैल को दोपहर 02:17 तक वैधृति योग होने के कारण घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:04 से 12:54 तक होगी. चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से ही नया हिंदू वर्ष प्रारंभ हो जाता है. चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी. खास बात ये है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं. इस समय में घटस्थापना आपके लिए बहुत ही लाभदायक और उन्नतिकारक सिद्ध हो सकता है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. वैसे तो साल में चार नवरात्रि तिथियां होती हैं, लेकिन इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि को प्रमुख माना जाता है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र नवरात्र का आरंभ अबकी बार मंगलवार को हो रहा है. इसी दिन से हिंदू नववर्ष भी आरंभ भी हो जाएगा. चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. इसी दिन से कालयुक्त नामक संवत भी शुरू होगा. इस साल चैत्र नवरात्रि पर माता का वाहन घोड़े होगा. घोड़े को मां दुर्गा का शुभ वाहन नहीं माना जाता है. पूरे साल चार नवरात्रि आती है जिनमें आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा समाज में प्रचलित है. कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है. इसलिए संवत का आरंभ में चैत्र नवरात्रि से ही होता है. 

देवी मां दुर्गा के वाहन का प्रभाव
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है. लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं. यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं.  माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं. देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे. गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है. अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी. शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं. बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं. नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है. ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है.

घोड़े पर सवार होकर आयेगी मां दुर्गा 
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी. घोड़े को मां दुर्गा का शुभ वाहन नहीं माना जाता है. ये युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का संकेत देता है. सत्ता में परिवर्तन होता है.

तिथि एवं शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस साल चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल को देर रात 11:50 मिनट से शुरू होगी. ये तिथि अगले दिन यानी 09 अप्रैल को संध्याकाल 08:30 मिनट पर समाप्त होगी. हिंदू धर्म में उदया तिथि मान है, इसलिए 09 अप्रैल को घटस्थापना है.

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना तिथि : 09 अप्रैल 2024
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:04 मिनट से 12:54 मिनट तक
शुभ मुहूर्त की अवधि : 50 मिनट

शुभ योग
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 07:32 से हो रहा है. ये दोनों योग संध्याकाल 05:06 मिनट तक है.

चैत्र नवरात्रि  की तिथियां
9 अप्रैल - नवरात्रि प्रतिपदा- मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना
10 अप्रैल - नवरात्रि द्वितीया- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
11 अप्रैल - नवरात्रि तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा
12 अप्रैल - नवरात्रि चतुर्थी- मां कुष्मांडा पूजा
13 अप्रैल - नवरात्रि पंचमी- मां स्कंदमाता पूजा
14 अप्रैल - नवरात्रि षष्ठी- मां कात्यायनी पूजा
15 अप्रैल - नवरात्रि सप्तमी- मां कालरात्रि पूजा
16 अप्रैल - नवरात्रि अष्टमी- मां महागौरी
17 अप्रैल - नवरात्रि नवमी- मां सिद्धिदात्री , रामनवमी

कलश स्थापना की सामग्री 
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

कलश स्थापना 
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं.