जोधपुर से ब्रीड लोन पर जयपुर लाए एशियाटिक लायन जीएस की मौत, बायोलॉजिकल पार्क के चिकित्सकों की कार्यशैली पर उठे सवाल!

जयपुर: रिकॉर्ड्स बुक में अपना नाम छपवाने की सनक, लापरवाही और जिम्मेदारों की अनदेखी ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क को बिग कैट्स की कब्रगाह बना दिया है. आज सुबह यहां एशियाटिक लॉयन 'जीएस' की मौत हो गई. पिछले चार साल में एनबीपी में जीएस सहित कुल 14 बिग कैट्स की मौत हुई है. बावजूद इसके न तो चिकित्सक बदले गए न ही रेंजर से पूछताछ हुई और तो और लेप्टोस्पायरोसिस की रोकथाम के कारगर उपाय भी नहीं हुए. पेश है बिग कैट्स की कब्रगाह बनते जा रहे बायोलॉजिकल पार्क पर एक खास रिपोर्ट... 

बायोलॉजिकल पार्क में बिग कैट्स की मौत---

नाम                             मौत की तिथि                 कारण

सुजैन शेरनी                 19 सितम्बर 2019      केनाइन डिस्टेंपर

रिद्धि  बाघिन                21 सितम्बर 2019     केनाइन डिस्टेंपर

सीता (सफेद बाघिन)     27 सितम्बर 2019      केनाइन डिस्टेंपर

रुद्र बाघ                      10 जून 2020             लेप्टोस्पायरोसिस

सिद्धार्थ शेर                 11 जून 2020            लेप्टोस्पायरोसिस

राजा (सफेद बाघ)        4 अगस्त 2020           लेप्टोस्पायरोसिस

कैलाश शेर                  18 अक्टूबर 2020       कार्डियक अरेस्ट

तेजस शेर                      3 नवंबर 2020        लेप्टोस्पायरोसिस

तारा का शावक             12 दिसम्बर 2020      कमजोरी

सफेद बाघ चीनू             10 जुलाई 2022      * लेप्टोस्पायरोसिस

पैंथर                           15 जुलाई                   ट्रेंक्यूलाइज में ओवर डोज

पैंथर शिवा                    7 अगस्त                   *स्नेक बाईट

पैंथर बख्शी                  3 मार्च 2023             बीमारी

लॉयन जीएस                16 अगस्त 2023       लेप्टोस्पायरोसिस          

एक बारहसिंगा की भी हुई थी मौत-
बारहसिंगा                    19 सितम्बर 2021       कार्डियक अरेस्ट

दरअसल, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क वन्य जीवों का कब्रिस्तान बनता जा रहा है. अनट्रेंड वन्य जीव केयर टेकर, नई चिकित्सा पद्धति से अपडेट न होना, प्रशासनिक लापरवाही और मॉनिटरिंग की कमी ने 4 वर्ष में ही 5 बाघ 6 शेर और 3 पैंथर हमसे छीन लिए हैं. आज वो एशियाटिक लायन जीएस भी चल बसा जिसे 8 फरवरी को जोधपुर से ब्रीड लोन पर लाए थे. जीएस की मौत किडनी फेल्योर होने से हुई. अचरज की बात है कि जीएस का क्रिएटिनिन लेवल 19 पर जा पहुंचा था लेकिन यह बात मीडिया से छुपाई गई. यहां तक की जीएस को वापस जोधपुर भेजने की बात भी कही गई लेकिन जोधपुर वन प्रशासन को इस बात की भनक लग गई थी. जीएस बीमार है और एनबीपी प्रशासन उसे जोधपुर भेजकर अपनी गलती पर पर्दा डालना के प्रयास कर रहा है. 

यहां तैनात चिकित्सकों पर पहले भी गलत उपचार के आरोप लगते रहे:
सूत्रों का कहना है कि यहां तैनात चिकित्सकों पर पहले भी गलत उपचार के आरोप लगते रहे हैं. चिकित्सकों में इस बात की सनक है कि रेस्क्यू के सर्वाधिक मामले कर उन्हें रिकॉर्ड बुक्स में अपना नाम दर्ज करवाना है. ऐसे में यहां के वन्यजीव खासकर बिग कैट्स प्रभावित हो रहे हैं. एनबीपी की छवि इतनी खराब होती जा रही है कि सीजे़डए के एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दूसरे राज्यों के चिडियाघरों ने एनबीपी को बाघ या शेर देने से मना करने का मन बना लिया है. इस घटना के बाद गुजरात के शकरबाग से आने वाला शेरों का जोड़ा भी अब मिलना मुश्किल है. 

तीनों सफेद बाघ, बाघिन सीता, राजा और आज चीनू दुनिया से जा चुके:
दरअसल, यहां अभी तक लाए गए तीनों सफेद बाघ, बाघिन सीता, राजा और आज चीनू दुनिया से जा चुके हैं. बाघ और शेरों में लेप्टोस्पायरोसिस मिलने के बावजूद भी स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया गया और देखते ही देखते 4 वर्ष में 14 बिग कैट्स और एक बारहसिंगा मौत की नींद सो चुके हैं. 19 सितंबर 2019 यानी करीब 4 साल पहले केनाइन डिस्टेंपर नाम के वायरस ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में सुजैन नाम की शेरनी की जिंदगी को लील लिया था. इसके ठीक एक दिन छोड़कर यानी 21 सितंबर को इस वायरस ने रिद्धि नाम की बाघिन को मौत की नींद सुला दिया और 6 दिन बाद यानी 27 सितंबर 2019 को एकमात्र सफेद बाघिन सीता को भी केनाइन डिस्टेंपर ने हमसे छीन लिया. 

  

वर्ष 2019 जब 9 दिन में 3 बिग कैट की मौत हुई:
वर्ष 2019 जब 9 दिन में 3 बिग कैट की मौत हुई तो नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में हड़कंप तो मचा लेकिन उच्चाधिकारियों ने अपने मातहतों की लापरवाही पर पर्दा डाल दिया. दरअसल मॉनिटरिंग का अभाव, विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों की कमी और जानलेवा लापरवाही ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क को बिग कैट का कब्रिस्तान बना कर रख दिया है. वर्ष 2019 की घटना से वन विभाग ने सबक नहीं लिया. 9 दिन में जब 3 बिग कैट्स की कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से मौत हुई उसके बाद जो इंतजाम बायोलॉजिकल पार्क में किए जाने थे वह नहीं हुए. फिर बारी आई वर्ष 2020 की 10 जून को रूद्र नाम के बाघ शावक ने दम तोड़ दिया. आईवीआरआई बरेली से जो विसरा जांच रिपोर्ट आई उसमें लेप्टोस्पायरोसिस नाम के वायरस की पुष्टि हुई. 

4 अगस्त को राजा नाम के सफेद बाघ ने इस दुनिया से विदा ले ली:
अभी 24 घंटे भी रूद्र की मौत को नहीं हुए थे कि सिद्धार्थ नाम के शेर ने अगले ही दिन यानी 11 जून 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया. सिद्धार्थ के रक्त के नमूनों में भी लेप्टोस्पायरोसिस वायरस पाया गया. उसके बाद 4 अगस्त को राजा नाम के सफेद बाघ ने इस दुनिया से विदा ले ली राजा के रक्त के नमूनों में भी यही जानलेवा वायरस पाया गया. लगातार हो रही बिग कैट्स की मौत के बाद बायोलॉजिकल पार्क के सभी बाघ, शेर और लेपर्ड के रक्त के नमूने लिए गए. इनमें लेपर्ड्स को छोड़कर बाघ और शेर की किडनी खराब पाई गई. सभी का क्रिएटनीन लेवल 3.5 से 6 तक पाया गया. इसके बावजूद बायोलॉजिकल पार्क प्रशासन लापरवाह बना रहा. 

18 अक्टूबर 2020 को कैलाश नाम के एशियाटिक शेर की मौत हुई थी:
अभी तक बायोलॉजिकल पार्क और नाहरगढ़ लायन सफारी में खेलते कूदते दिखाई देने वाले एशियाटिक लायन तेजस ने इसके बाद दम तोड़ा तो पूरा वन विभाग हक्का-बक्का रह गया. इसी पहले 18 अक्टूबर 2020 को कैलाश नाम के एशियाटिक शेर की मौत हुई थी. जिसे आनन फानन में कार्डियक अरेस्ट से मरना बताया गया. सफेद बाघ चीनू को पिछले वर्ष 17 मार्च को उड़ीसा के नंदनकानन से जयपुर लाया गया था. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क आने वाले पर्यटकों का सबसे बड़ा आकर्षण यह सफेद बाघ ही था जिसकी मौत हो चुकी है. इसके बाद यहां पैंथर शिवा की मौत हुई और अब शेर जीएस ने दुनिया को अलविदा कह दिया. जिस तरह से लगातार नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बिग कैट्स की मौत हो रही है उससे लगता है कि अब वन विभाग को निगरानी रखने की जरूरत है. उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई तो की ही जाए साथ ही पूरे पार्क का तकनीकी टीम से मुआयना करा कर यहां की व्यवस्थाओं को दूर किया जाए.