राष्ट्रीय राजधानी को पूरे 10 साल बाद महापौर मिलेगा, जानिए डिटेल्स

नई दिल्ली: दिल्ली को मंगलवार को एक महिला महापौर मिलना तय है. महापौर के चुनाव के बाद राष्ट्रीय राजधानी को पूरे 10 साल बाद एक महापौर मिलेगा. स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली को 1958 में दिल्ली नगर निगम के अस्तित्व में आने के बाद इस शीर्ष पद के लिए चुना गया था. कानून की विद्वान रजनी अब्बी 2011 में एमसीडी के विभाजन से पहले एमसीडी की आखिरी महापौर थीं.

महापौर का पद 2012 तक काफी प्रभावशाली तथा प्रतिष्ठित माना जाता था. 2012 में दिल्ली नगर निगम का तीन अलग-अलग नगर निगमों -उत्तर, दक्षिण और पूर्वी नगर निगम में विभाजन हुआ और प्रत्येक निगम का अपना महापौर बना. बहरहाल, पिछले साल इनका विलय कर दिया गया और एक बार फिर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) बना. चार दिसंबर को हुए नगर निगम चुनाव के बाद सदन की दूसरी बैठक में आज महापौर और उपमहापौर का चुनाव होगा.

राजधानी को पूरे 10 साल बाद एक महापौर मिलेगा:
राष्ट्रीय राजधानी में महापौर का पद बारी-बारी से पांच बार एक-एक साल के लिए होगा, जिसमें पहला साल महिलाओं के लिए आरक्षित, दूसरा साल सभी के लिए खुला होगा, तीसरा साल आरक्षित श्रेणी के लिए तथा बाकी के दो साल सभी के लिए खुले रहेंगे. इस साल दिल्ली को एक महिला महापौर मिलेगी. तीनों एमसीडी का विलय होने के बाद पहली बार चार दिसंबर को नगर निकाय चुनाव हुए. एमसीडी के परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गयी. महापौर के चुनाव के बाद राष्ट्रीय राजधानी को पूरे 10 साल बाद एक महापौर मिलेगा.

प्रमुख सड़क का नाम भी उनके नाम पर रखा गया:
कानून की विद्वान रजनी अब्बी 2011 में एमसीडी के विभाजन से पहले एमसीडी की आखिरी महापौर थीं. दिल्ली नगर निगम का गठन अप्रैल 1958 में हुआ था. उसने पुरानी दिल्ली में 1860 काल के ऐतिहासिक टाउन हॉल से अपना सफर शुरू किया और अप्रैल 2010 में इसे सिविक सेंटर परिसर ले जाया गया. अरुणा आसफ अली की तस्वीरें अब भी टाउन हॉल के पुराने निगम सदन के कक्षों और सिविक सेंटर के कार्यालयों की दीवारों पर लगी हुई हैं. शहर में एक प्रमुख सड़क का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है.

कांग्रेस ने नौ वार्ड में जीत दर्ज की:
उत्तर दिल्ली नगर निगम (104 वार्ड), दक्षिण दिल्ली नगर निगम (104 वार्ड) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (64 वार्ड) का विलय पिछले साल हुआ जब केंद्र सरकार उनके एकीकरण के लिए एक विधेयक लेकर आई. कई पूर्व महापौर ने इस फैसले का स्वागत किया था. नगर निगमों के विलय के बाद चार दिसंबर को एमसीडी चुनाव हुए और मतगणना सात दिसंबर को हुई. आम आदमी पार्टी (आप) ने 134 वार्ड जीतकर एमसीडी में भाजपा के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया. भाजपा ने एमसीडी के 250 सदस्यीय सदन में 104 वार्ड में जबकि कांग्रेस ने नौ वार्ड में जीत दर्ज की.

पूरे शहर को अब फिर से एक महापौर मिलेगा:
इस बार महापौर पद के प्रत्याशियों में शैली ओबरॉय और आशु ठाकुर (आप) तथा रेखा गुप्ता (भाजपा) शामिल हैं. ओबरॉय आप की ओर से इस पद के लिए मुख्य दावेदार हैं. उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर और भाजपा के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों के लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि पूरे शहर को अब फिर से एक महापौर मिलेगा.

कानून की प्रोफेसर थीं और अभी विश्वविद्यालय की डीन:
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि अरुणा आसफ अली दिल्ली की पहली महापौर थीं और 2012 तक एमसीडी का तीन अंगों में विभाजन होने से पहले रजनी अब्बी आखिरी महापौर थीं . 10 साल बाद फिर से एक महिला महापौर बनेगी, यह शहर के साथ ही उस व्यक्ति के लिए बड़े सौभाग्य की बात है जो दिल्ली की महापौर बनेंगी. अप्रैल 2011 में भाजपा की तत्कालीन प्रत्याशी रजनी अब्बी कांग्रेस की सविता शर्मा को 88 मतों से हराकर दिल्ली की महापौर बनी थीं. अब्बी उस वक्त दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर थीं और अभी विश्वविद्यालय की डीन हैं.

ऊषा शास्त्री को उपमहापौर चुना गया था:
एमसीडी के विभाजन के बाद सभी तीनों निगमों के लिए महापौर के चुनाव 2012 में हुए थे. अप्रैल 2012 में मीरा अग्रवाल को नव-निर्वाचित एमडीएमसी का महापौर निर्विरोध चुना गया था जबकि उनकी पार्टी के सहकर्मी आजाद सिंह उपमहापौर बने थे. मई 2012 में अन्नपूर्णा मिश्रा को पूर्वी दिल्ली का महापौर निर्विरोध चुना गया जबकि उनकी पार्टी की ऊषा शास्त्री को उपमहापौर चुना गया था. सोर्स-भाषा