VIDEO: राजधानी के चिकित्सकों ने फिर रचा कीर्तिमान ! राजस्थान का पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजधानी के चिकित्सकों ने एकबार फिर बड़ा कीर्तिमान रचते हुए 12 वर्षीय बच्ची को नया जीवन दिया है. बच्ची पिछले छह साल से लीवर की दिक्कत से पीड़ित थी, जिसका महात्मा गांधी अस्पताल में सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट किया है. अस्पताल प्रशासन का दावा है कि राजस्थान का यह पहला सफल पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट है. 

ये है कोटखावदा निवासी 12 वर्षीय बच्ची साक्षी. पिछले छह साल से पीलिया, पेट में पानी तथा लिवर सिरोसिस जैसी लिवर की गंभीर बीमारियों के चलते साक्षी जिन्दगी की जंग लड़ रही थी. लिवर बायोप्सी से पता लगा कि उसे लिवर की जेनेटिक बीमारी है. परिवार के लिए ये किसी सदमे से कम नहीं था, क्योंकि पहले उसकी बहन की 9 साल की उम्र में लिवर की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई थी. साक्षी का जयपुर के अलावा दिल्ली के भी कई बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं मिल पाया. आखिर परिजन उसे महात्मा गांधी अस्पताल लेकर आएं,जहां जांच के बाद उसकी मां से लिवर का कुछ हिस्सा लेकर सफल लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है. इस मामले में MGMCH एमेरिटस चेयरपर्सन डॉ एम एल स्वर्णकार ने बताया कि ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत निशुल्क किया गया है.

पीडियाट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट बड़ी चुनौती !

ट्रांसप्लांट करने वाले डॉ नैमिष ने साझा किए अनुभव

उन्होंने बताया कि बड़े ऑपरेशन में खून का रिसाव हो सकता है ज्यादा

जो कि बच्चो में हमेशा जोखिम भरा होता है

बच्चों की छोटी नसों तथा रक्त वाहिनियों को बड़ी उम्र के डोनर लिवर के साथ जोड़ पाना भी बहुत मुश्किल होता है

इसके अलावा बच्चों की इम्यूनिटी पावर भी कम होती है, इससे रिकवरी के दौरान संक्रमण का खतरा बना रहता है

डॉक्टर्स के सम्मिलित प्रयासों से साक्षी को मौत के मुंह से निकाल नया जीवन दिया गया

महात्मा गांधी मेडिकल यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन डॉ विकास चंद्र स्वर्णकार ने बताया कि लिवर, पैंक्रियाज के रोगियों को अभी तक उपचार के लिए राज्य के बाहर जाना पड़ता था. अब पड़ोसी राज्यों के लोग यहां आ रहे हैं. विख्यात लिवर तथा हेपेटो बिलियारी सर्जन डॉ नैमिष एन मेहता के निर्देशन में सेंटर फॉर डाइजेस्टिव साइंसेज में इन सभी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है. साक्षी के पिता जगदीश नारायण मीणा ने भावुक होते हुए कहा कि भगवान के रूप में डॉक्टर्स ने मेरी बच्ची की जान बचाई.

बच्ची का उपचार चिरंजीवी योजना के तहत पूरी तरह निशुल्क किया गया है. इतना ही नहीं अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन के चल रही दवाओं तथा जांचों का खर्च खुद के स्तर पर वहन करने की घोषणा करते हुए सामाजिक दायित्वों की मिसाल भी पेश की है.