Karwa Chauth 2023: 1 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनाई जायेगी संकष्टी चतुर्थी का व्रत और करवा चौथ, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

जयपुर: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती हैं इस दिन को करवाचौथ (Karwa Chauth) कहते हैं. रात में चांद का दीदार करने और चलनी से पति का चेहरा देखने के बाद महिलाएं यह व्रत तोड़ती हैं.  ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है और इस साल करवा चौथ सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनाई जायेगी. वहीं इस साल चतुर्थी तिथि 31 अक्तूबर की रात  9:30 मिनट से शुरू हो रही है. जिसका समापन अगले दिन यानी 1 नवंबर की रात 09:19 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा.1 नवंबर को पति-पत्नी का महापर्व करवा चौथ है. ये व्रत जीवन साथी के लिए समर्पण, प्रेम और त्याग का भाव दिखाता है. महिलाएं पति के सुखी जीवन, सौभाग्य, अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए दिनभर निराहार और निर्जल रहती हैं. इस रिश्ते में जब तक एक-दूसरे के बीच विश्वास है, तब तक प्रेम बना रहता है. अगर जीवन साथी पर अविश्वास का भाव जाग जाता है तो ये रिश्ता टिक नहीं पाता है.  

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सबसे खास बात यह है कि इस साल करवा चौथ के दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाएगा. कृष्णपक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है और इस साल यह तिथि बुधवार 1 नवंबर को है. बुधवार 1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थसिद्धि और शिवयोग का योग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 06:33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04:36 मिनट रहेगा. इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02:07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा. सबसे खास बात यह है कि इस साल करवा चौथ के दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाएगा. जो कि करवा चौथ के महत्व और भी ज्यादा बढ़ा देता है. यानी इस साल करवा चौथ के दिन जो भी व्रत रखकर पूजा अर्चना करेगा. उनको भगवान शिव और गणेश का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी करवा चौथ का व्रत. सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखे जाने वाले इस व्रत को महिलाएं पति की दीर्घायु के  लिए रखती हैं. करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति की आयु लंबी होती है. इसलिए विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं. इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित गणेशजी व मंगल ग्रह के स्वामी देव सेनापति कार्तिकेय की भी विशेष पूजा होती है. 

करवा चौथ तिथि:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत मंगलवार 31 अक्तूबर को रात 9:30 मिनट से हो रही है. यह तिथि अगले दिन 1 नवंबर को रात 9:19 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत बुधवार 1 नवंबर 2023 को रखा जाएगा.

करवा चौथ पर बन रहा शुभ संयोग:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04:36 मिनट रहेगा. इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02:07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा. इन दोनों शुभ संयोग की वजह से इस साल करवा चौथ का महत्व और बढ़ गया है.

करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर:
चतुर्थी तिथि आरंभ- 31अक्टूबर को रात 9:30 मिनट से 
चतुर्थी तिथि समाप्त- 1 नवंबर की रात 09:19 मिनट पर

चंद्र दर्शन का समय:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास  ने बताया कि वहीं ये भी मान्यता है कि कि ऐसे समय में चंद्र दर्शन मनवांछित फल प्रदान करता है. 1 नवंबर 2023 यानी करवा चौथ की रात्रि 08:15 बजे चंद्रोदय होगा.  

करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त:
1 नवंबर को सायं 05:36 मिनट से 06:54 मिनट तक
अमृतकाल मुहूर्त- सायं 07:34 मिनट से 09:13 मिनट तक
इस समय आप चंद्रमा को देखकर व्रत का पारण सकते हैं. यह समय काफी शुभ रहने वाला है.

लाल रंग के कपड़े पहनें, मिलेगा पति का प्यार:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवाचौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं यदि लाल रंग के कपड़े पहनती हैं तो उन्हें जिंदगी भर पति का प्यार मिलेगा. माना जाता है कि लाल रंग गर्मजोशी का  प्रतीक है और मनोबल भी बढ़ाता है. साथ ही लाल रंग प्यार का प्रतीक भी माना जाता है. लाल रंग में महिलाएं अधिक सुंदर और आकर्षित दिखती हैं एवं सबके आकर्षण का केंद्र बिंदू बनती हैं. नीले, भूरे और काले रंग के कपड़े न पहनें, क्योंकि ये अशुभता के प्रतीक हैं.

छलनी की ओट से चंद्रदर्शन:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवा चौथ को लेकर मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें सीधे नहीं देखी जाती हैं, उसके मध्य किसी पात्र या छलनी द्वारा देखने की परंपरा है क्योंकि चंद्रमा की किरणें अपनी कलाओं में विशेष प्रभावी रहती हैं. जो लोक परंपरा में चंद्रमा के साथ पति-पत्नी के संबंध को उजास से भर देती हैं. चूंकि चंद्र के तुल्य ही पति को भी माना गया है, इसलिए चंद्रमा को देखने के बाद तुरंत उसी छलनी से पति को देखा जाता है. इसका एक और कारण बताया जाता है कि चंद्रमा को भी नजर न लगे और पति-पत्नी के संबंध में भी मधुरता बनी रहे.

करवा चौथ की पूजन सामग्री:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें. पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी,  हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे.

करवा चौथे की पूजा विधि:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवा चौथ पर दिनभर व्रत रखा जाता है और रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसके लिए पूजा-स्थल को खड़िया मिट्टी से सजाया जाता है और पार्वती की प्रतिमा की भी स्थापना की जाती है. पारंपरिक तौर पर पूजा की जाती है और करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है. करवा चौथ का व्रत चांद देखकर खोला जाता है, उस मौके पर पति भी साथ होता है. दीए जलाकर पूजा की शुरुआत की जाती है. करवा चौथ की पूजा में जल से भरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्हड़ यानी करवा, ऊपर दीपक पर रखी विशेष वस्तुएं, श्रंगार की सभी नई वस्तुएं जरूरी होती है. पूजा की थाली में रोली, चावल, धूप, दीप, फूल के साथ दूब अवश्य रहती है. शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की मिट्टी की मूर्तियों को भी पाट पर दूब में बिठाते हैं. बालू या सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर भी सभी देवताओं को विराजित करने का विधान है. अब तो घरों में चांदी के शिव-पार्वती पूजा के लिए रख लिए जाते हैं. थाली को सजाकर चांद को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पति के हाथों से मीठा पानी पीकर दिन भर का व्रत खोला जाता है. उसके बाद परिवार सहित खाना होता है.

करवा चौथ को शास्त्रों में सौभाग्य वृद्धि का व्रत माना जाता है भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास के अनुसार करवा चौथ के दिन राशि के अनुसार वस्त्र पहनने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है.
1. मेष राशि की महिलाएं करवा चौथ के दिन गोल्डन रंग की साड़ी, लहंगा या सूटकर पूजा करें.
2. वृषभ राशि की महिलाओं का सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा.
3. करवा चौथ के दिन मिथुन राशि की महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करें.
4. कर्क राशि के लिए करवा चौथ के दिन शुभ रंग लाल है.
5. सिंह राशि वालों के लिए लाल, ऑरेंज या गोल्डन रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं.
6. करवा चौथ के दिन कन्या राशि की महिलाएं लाल, हरी या गोल्डन रंग की साड़ी पहनें.
7. तुला राशि की महिलाएं लाल, गोल्डन या सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करें.
8. वृश्चिक राशि की महिलाओं के लिए लाल रंग सबसे उत्तम माना जाता है. इस दिन आप महरून या गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर पूजा कर सकती हैं.
9. धनु राशि की महिलाओं को आसमानी या पीले रंग के वस्त्र धारण करने की सलाह दी जाती है.
10. मकर राशि वालों के लिए नीला रंग शुभ माना जाता है.
11. कुंभ राशि की महिलाएं नीले रंग या सिल्वर कलर के वस्त्र धारण कर सकती हैं.
12. मीन राशि की महिलाएं पीले या गोल्डन कलर के कपड़े पहनकर पूजा करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.