वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र में 7 फरवरी को रखा जायेगा बुध प्रदोष व्रत, जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

जयपुरः फरवरी 2024 का पहला प्रदोष व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. यह व्रत बुधवार को होने के कारण बुध प्रदोष व्रत है. आपको जानना चाहिए कि हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उस दिन का नाम प्रदोष व्रत के आगे जुड़ जाता है. जैसे बुधवार के दिन का प्रदोष बुध प्रदोष, शुक्रवार दिन का प्रदोष शुक्र प्रदोष, शनिवार के दिन का प्रदोष शनि प्रदोष कहलाता है. हालांकि दिन के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ भी अलग-अलग होते हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि बुधवार 7 फरवरी को दोपहर 02:02 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 8 फरवरी गुरुवार को दिन में 11:17 मिनट पर होना है. ऐसे में प्रदोष व्रत के पूजा मुहूर्त के आधार पर फरवरी का पहला प्रदोष व्रत बुधवार 7 फरवरी को रखा जाएगा.

प्रदोष व्रत तिथि:
त्रयोदशी तिथि आरंभ:  7 फरवरी,बुधवार, दोपहर 02:02 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 8 फरवरी, गुरुवार , प्रातः  11:17 मिनट पर 
प्रदोष व्रत 7 फरवरी दिन बुधवार को रखा जाएगा.

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त:
प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त: सायं 06: 05 मिनट से रात 08: 41 मिनट तक है.
शिव पूजा के लिए आपको ढाई घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा.  

वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र:
ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि प्रदोष व्रत वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र में रखा जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन वज्र योग पूरे दिन रहेगा. 08 फरवरी, तड़के 02:53 से सिद्धि योग लगेगा वहीं पूर्वाषाढा नक्षत्र 8 फरवरी को प्रातः 04:37 तक है.  उस दिन का ब्रह्म् मुहूर्त प्रातः 05:22 से 06:14 तक है.

प्रदोष व्रत का महत्व:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि प्रदोष व्रत के महत्व का उल्लेख स्कंद पुराण में स्पष्ट रूप से किया गया है. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पूजनीय व्रत को करता है उसे संतोष, धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत आध्यात्मिक उत्थान और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी मनाया जाता है. हिंदू धर्मग्रंथों में प्रदोष व्रत की बहुत सराहना की गई है और भगवान शिव के अनुयायियों द्वारा इसे बहुत पवित्र माना जाता है. यह एक ज्ञात तथ्य है कि इस शुभ दिन पर भगवान की एक नज़र भी आपके सभी पापों को समाप्त कर देगी और आपको भरपूर आशीर्वाद और सौभाग्य प्रदान करेगी. सनातन धर्म में प्रदोष व्रत पर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है. इस दिन उपवास रखने के साथ यदि विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. जीवन में सभी परेशानियों दूर होती है और वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है. पूजा के दौरान भगवान भोलेनाथ को आक के फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, रोली, अक्षत, फल, मिठाई और पंचामृत आदि जरूर चढ़ाना चाहिए.