पुष्कर में गरजेंगे पीएम मोदी, अजमेर और नागौर लोकसभा सीटों का साधने का करेंगे काम

जयपुरः लोकसभा का चुनावी घमासान जारी है. आज पीएम नरेंद्र मोदी पुष्कर में जन सभा करेंगे. वे यहां नागौर और अजमेर लोकसभा के भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में सभा करेंगे. अजमेर से बीजेपी उम्मीदवार है भागीरथ चौधरी और नागौर से बीजेपी उम्मीदवार ज्योति मिर्धा. अजमेर में मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी का मुकाबला है कांग्रेस के पुराने चेहरे रामचंद्र चौधरी से. वहीं नागौर में ज्योति मिर्धा का परंपरागत मुकाबला है कांग्रेस RLP गठबंधन उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल से. खास बात है कि भागीरथ और ज्योति दोनों ही विधानसभा चुनाव हार गए थे फिर भी बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया है. विशुद्ध तौर पीएम मोदी पुष्कर की धरती से किसान कौम को साधने का काम करेंगे. क्योंकि दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों के उम्मीदवार जाट जाति से ताल्लुक रखते हैं. देखते है खास रिपोर्ट

बहुत ही प्लानिंग और कूटनीति के साथ भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के लिए अजमेर के पुष्कर को चुना है. इस सभा के जरिए दो लोकसभा क्षेत्र को सीधे तौर साधने की बीजेपी की रणनीति है. एक है मेरवाड़ा कहे जाने वाले अजमेर की धरती और दूसरी है जाट लैंड कहे जाने वाले नागौर की धरती. अजमेर की धरती से ही सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापार करने का अधिकार मिला था, वहीं नागौर की धरती से ही सबसे पहले देश में पंचायती राज व्यवस्था का श्री गणेश किया गया था. अजमेर और नागौर दोनों ही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध है. पुष्कर या यूं कहे तीर्थ राज और ब्रह्मा की धरती से चुनावी सभा को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. अजमेर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीट आती हैं. इनमें अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, दूदू, मसूदा, नसीराबाद, पुष्कर, केकड़ी सीट पर भाजपा का कब्जा है, जबकि किशनगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है. किशनगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन भागीरथ चुनाव हार गए. वो तीसरे स्थान पर रहे थे. उन्हें कांग्रेस के विकास चौधरी ने हराया था...रघु शर्मा ,राकेश पारीक,नसीम अख्तर,महेंद्र रलवाता समेत कांग्रेस के सभी दिग्गज चुनाव हार गए,बीजेपी से कांग्रेस में आए विकास ने लाज रखी.

अजमेर लोकसभा सीट पर 1989 से पहले कांग्रेस का ही दबदबा था
 लेकिन इसके बाद से अजमेर लोकसभा सीट की राजनीतिक फिजा बदल गई
 1989 से 2019 तक दस लोकसभा चुनाव और 2 उप चुनाव में कांग्रेस को मात्र तीन बार ही जीत मिली है
जबकि भाजपा यहां से 7 बार जीतकर आई है
1977 में अजमेर लोकसभा सीट से बीजेपी से उम्मीदवार श्रीकरण शारदा चुनाव जीते थे
.इसके बाद 1989 से 1998 तक तीन बार हुए लोकसभा चुनाव में रासा सिंह रावत तीनों चुनाव जीते
 12वें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से डॉ प्रभा ठाकुर ने जीत दर्ज की
करीब एक वर्ष बाद ही 1999 में हुए चुनाव में रासासिंह रावत ने इस सीट पर फिर से वापसी की
2004 में हुए चुनाव में भी रावत ने भाजपा का परचम फहराया.
पिछला लोकसभा चुनाव बीजेपी के भागीरथ चौधरी जीते 
 इसलिए फिलहाल अजमेर लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है
रासा सिंह रावत यहां से सर्वाधिक जीतने वाले बीजेपी सांसद रहे
बीजेपी टिकट पर सांवर लाल जाट चुनाव जीत कर केंद्र में मंत्री भी बने 
बीजेपी ने मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी को टिकट दिया
भागीरथ चौधरी को किशनगढ़ से विधानसभा चुनाव का टिकट दिया
लेकिन भागीरथ चौधरी चुनाव हार गए थे
वही कांग्रेस ने खांटी जाट नेता और अजमेर डेयरी के सिरमौर रामचंद्र चौधरी को चुनावी समर में उतारा
रामचंद्र चौधरी विधानसभा के कई चुनाव लड़ चुके लेकिन जीत कभी नहीं मिले
अब एक अदद जीत की तलाश है रामचंद्र चौधरी को
अजमेर लोकसभा सीट जाट बाहुल्य सीट है
यहां पर गुर्जर, ब्राह्मण, रावत, मुस्लिम, एससी वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है

साल 1977 के चुनाव से लगातार नागौर लोकसभा सीट पर जाट वर्ग का उम्मीदवार ही जीतता आ रहा है. नागौर जिले में दो लोकसभा क्षेत्र लगते हैं, जिसमें नागौर लोकसभा और राजसमंद लोकसभा क्षेत्र आता है. नागौर में कुल 10 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें से मेड़ता विधानसभा क्षेत्र, जो की राजसमंद जिले में आता है. 9 विधानसभा नागौर के लोकसभा क्षेत्र में आते हैं.  पिछले चार-पांच दशक से नागौर लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव में अधिकतर मुकाबला दो जाट उम्मीदवार के बीच होता रहा है. इस बार हनुमान बेनीवाल का गठबंधन बीजेपी से नहीं कांग्रेस से हुआ है..एक बार फिर मुकाबला ज्योति मिर्धा से है ,पिछली बार ज्योति कांग्रेस से चुनाव लड़ चुकी. हालांकि वे बेनीवाल से चुनाव हार गई थी,हालांकि एक बार सांसद रह चुकी कांग्रेस से. बेनीवाल सांसद थे फिर बीते विधानसभा चुनाव में खींवसर से विधायक बन गए. और अब कांग्रेस RLP गठबंधन के उम्मीदवार. किसान मसीहा कहे जाने वाले पूर्व  केंद्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा की पोती है ज्योति मिर्धा,बेनीवाल के पिता भी विधायक रह चुके.

नागौर लोकसभा सीट का इतिहास:
नाथूराम मिर्धा ने साल 1990 में जनता दल तथा शेष चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीता
इमरजेंसी के वक्त पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर मिर्धा ही जीते थे
नागौर से सर्वाधिक चुनाव जीतने का रिकॉर्ड नाथू राम मिर्धा का ही है
उनके निधन के बाद साल 1997 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र भानु प्रकाश मिर्धा ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता
पहली बार बीजेपी का खाता खुला
उसके बाद साल 1998 एवं 1999 में कांग्रेस के राम रघुनाथ चौधरी 
2004 में भाजपा के भंवर सिंह डांगावास
  2009 में कांग्रेस की ज्योति मिर्धा ने चुनाव जीता है
 साल 1984 में  रामनिवास मिर्धा ने लोकसभा चुनाव जीता था
 नागौर से पहले लोकसभा चुनाव निर्दलीय जीडी सोमानी ने जीता था
 दूसरा चुनाव कांग्रेस के मथुरादास माथुर तथा तीसरा लोकसभा चुनाव कांग्रेस के एनके सोमानी ने जीता
 साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने रालोपा पार्टी से गठबंधन किया था, जिसमें हनुमान बेनीवाल चुनाव जीते थे
2014 में सीआर चौधरी जीते थे बीजेपी के टिकट पर केंद्र में मंत्री भी बने
विधानसभा चुनाव के वक्त नागौर की 10सीटों के परिणाम में 4 सीट पर भाजपा, 4 पर कांग्रेस , एक पर आरएलपी व एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की.
लाडनूं से कांग्रेस के मुकेश भाकर, जायल से भाजपा की मंजू बाघमार, नागौर से कांग्रेस के हरेन्द्र मिर्धा, खींवसर से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल, मेड़ता से भाजपा के लक्ष्मणराम मेघवाल, डेगाना से भाजपा के अजय सिंह किलक,मकराना से कांग्रेस के जाकिर हुसैन गैसावत, परबतसर से कांग्रेस के रामनिवास गावडि़या, नावां से भाजपा के विजय सिंह चौधरी ने जीत हासिल की.
जबकि डीडवाना युनुस खान अपने निकटतम प्रतिद्वंदी चेतन डूडी को हराया.
नागौर लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटर एससी वर्ग तथा जाट, राजपूत, ब्राह्मण , मुस्लिम,कुमावत,माली सहित अन्य जातियां हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अजमेर के साथ ही नागौर को साधना बेहद अहम है. नरेंद्र मोदी चूरू के बाद अजमेर में हुंकार भरेंगे. खास बात है अजमेर और नागौर दोनों ही लोकसभा सीटों का मिजाज अलग है.