बम बम भोले...! भगवान शंकर को अति प्रिय है सावन मास, 12 ज्योतिर्लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाते हैं जन्म जन्म के पाप

धार्मिक डेस्क: हिन्दुओं का पावन माह श्रावन मास चल रहा है, इस बार पूरे दो माह सावन मास चलेगा. सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है. चलिए आज हम आपको सावन मास के मौके पर 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा ले चलते है. आपको बता दें कि हिन्दू धर्म में पुराणों के मुताबिक शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है. ये संख्या में 12 है. सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ओंकारेश्वर अथवा ममलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्री भीमाशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघृष्णेश्वर. हिंदुओं में  मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है.

your image1: पूरे देश में भगवान भोले शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं. इनमें सबसे पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र नगर में अरब सागर के तट स्थित है और ये सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. इस ज्योतिर्लिंग के बारे बताया जाता है कि ये हर सृष्टि में यहां स्थित रहा है. 

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2: आन्ध्र प्रदेश प्रान्त के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तटपर श्रीशैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन विराजमान हैं. इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं.

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3: श्री महाकालेश्वर (मध्यप्रदेश) के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तटपर पवित्र उज्जैन नगर में विराजमान है. उज्जैन को प्राचीनकाल में अवन्तिकापुरी कहते थे.

your image4: मालवा क्षेत्र में श्री ओंकारेश्वर स्थान नर्मदा नदी के बीच स्थित द्वीप पर है. उज्जैन से खण्डवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन है, वहां से ये स्थान 10 मील दूर है. यहाँ ओंकारेश्वर और मामलेश्वर दो पृथक-पृथक लिंग हैं, परन्तु ये एक ही लिंग के दो स्वरूप हैं. श्रीॐकारेश्वर लिंग को स्वयम्भू समझा जाता है.

your image5: श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक श्रृंगपर स्थित हैं. शिखर के पूर्व की ओर अलकनन्दा के तट पर श्री बदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिम में मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ हैं. यह स्थान हरिद्वार से 241 किलोमीटर और ऋषिकेश से 212 किलोमीटर दूर उत्तरांचल राज्य में है.

your image6: श्री भीमाशंकर का स्थान मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर है. ये स्थान नासिक से लगभग 193 किलोमीटर दूर है. सह्याद्रि पर्वत के एक शिखर का नाम डाकिनी है. शिवपुराण की एक कथा के आधार पर भीमशंकर ज्योतिर्लिंग को असम के कामरूप जिले में गुवाहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर स्थित बतलाया जाता है. कुछ लोग मानते हैं कि नैनीताल जिले के काशीपुर नामक स्थान में स्थित विशाल शिवमंदिर भीमशंकर का स्थान है.

your image7: वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी विश्वनाथ सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं. गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग दर्शन हिन्दुओं के लिए सबसे पवित्र है.

your image8: त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे है. इस स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी है.

your image9: महाराष्ट्र में पासे परभनी नामक जंक्शन है, वहां से परली तक एक ब्रांच लाइन गई है, इस परली स्टेशन से थोड़ी दूर पर परली ग्राम के निकट श्रीवैद्यनाथ को भी ज्योतिर्लिंग माना जाता है. परम्परा और पौराणिक कथाओं से परळी स्थित श्रीवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को ही प्रमाणिक मान्यता है.

your image10: श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्रांतर्गत गोमती द्वारका से ईशानकोण में बारह-तेरह मील की दूरी पर है. निजाम हैदराबाद राज्य के अन्तर्गत औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को ही कोई-कोई नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं. कुछ लोगों के मत से अल्मोड़ा से 27 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में यागेश (जागेश्वर) शिवलिंग ही नागेश ज्योतिर्लिंग है.

your image11: श्रीरामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रान्त के रामनाड जिले में है. यहां लंका विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने अपने अराध्यदेव शंकर की पूजा की थी. ज्योतिर्लिंग को श्री रामेश्वरम या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है.

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12: घुश्मेश्वर (गिरीश्नेश्वर) ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं. इनका स्थान महाराष्ट्र प्रान्त में दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गाँव के पास है.