मुकुंदरा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अभी भी मुआवजे का इंतजार, पहली बार में मिला था 100 परिवारों को मुआवजा

झालावाड़: झालावाड़ जिले के मुकन्दरा टाइगर रिजर्व के बसे गावों का अब तेजी से विस्थापन हो रहा है सरकार की मंशा ही को जल्दी से इस क्षेत्र में एक बार फिर से  टाइगर को दहाड़ सुनाई देगी. मुकन्दरा टाइगर रिजर्व पर स्थित मशालपूरा के लोग सरकार द्वारा विस्थापन के लिए दिया जा रहा मुआवजा ऊट के मुंह मे जीरा बता रहे है. सरकार एव प्रशासन द्वारा विस्थापन के लिए मुआवजा प्रति पति पत्नी 15 लाख रूपये दिया जा रहा है. 

जब कि गांव मे लोगों के पास 5 से 20 बीघा तक जमीन है जिले के किसी भी गांव मे एक बीघा जमीन के भाव 5 लाख रूपये से लेकर 15 लाख तक है 15 लाख रूपये मे न तो मकान बन पायेगा जब गांव से लोग विस्थापित होकर दूसरे गांव जाएंगे तो उनके मजदूरी करने की नौबत आ जायागी इसी डर से गांव के 157 लोगों ने ही मुआवजा लिया है बाकी के चार परिवार के 25 लोगों ने मुआवजा नही लिया है वो चाहते है की मुवावजा राशि कम है. उचित मुवावजा मिले नहीं  मिला तो मशालपुरा गांव छोड़ने को तैयार नही हैं. वो यहीं रहकर अपनी जिंदगी बसर करना चाहते हैं. जिसके लिए वो हर खतरा उठाने को तैयार हैं वो जंगली जानवरों और टाइगर से भी नहीं डरने की बात कह रहे हैं. 

मुकुंदरा क्षेत्र में बसे टाइगर रिजर्व क्षेत्र के गांव मशालपुरा गांव के लोग अब विस्थापन की तैयारी में लगे हैं जल्दी यहां पर बाघों की गूंज सुनाई देने की  कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए सरकार की ओर से मुआवजा भी बांटना शुरू हो गया है. मशालपुरा गांव में पहले 197 परिवार निवास करते थे. जिसमे प्रथम चरण में 100 परिवारों को 15 लाख प्रति परिवार के रूप में मुआवजा मिल गया है. वो घर छोड़कर यहां से चले गए है. वन विभाग ने उनके घर तोड़ कर समतल कर दिए हैं. बाकी जो परिवार हैं उनमें भी फिर धीरे-धीरे बाकी का मुवावजा आने लगा अब मात्र चार परिवार हे बचे है. जिनमे 25 लोग है जो मुवावजे से संतुष्ट नहीं हैं वो जाना नहीं चाहते हैं हालाकि कई परिवार अभी यहां खेती कर रहे हैं उनकी मुवावजे की आखरी क़िस्त भी अभी आई है लेकिन फसल काटने के बाद यहा से जाने की बात  कह रहे हैं.  

मुकंदरा क्षेत्र के टाइगर रिजर्व क्षेत्र के मशालपुरा में पहले भी बाघों का बसेरा था यहां बाघ विचरण करते थे और यह क्षेत्र बाघों के लिए अच्छा माना गया है. हालांकि किसी कारण यहां बाघों की मौत हो गई. तब से यह क्षेत्र सुना है गांव के लोग  यहां पर खेती करते हैं और अपने जीवन का गुजर-बसर करते हैं. लेकिन जिस तरह से वापस मुकदरा क्षेत्र में बाघों को बसाने की कवायद शुरू हुई है इसके लिए यहां पर इन लोगों को विस्थापित किया जा रहा है. ताकि क्षेत्र को बांघो  के लिए खोला जा सके और आने वाले समय में पर्यटकों के लिए बड़े हब के रूप उभर सकता है.  आपको बता दे यह क्षेत्र में अगर पूरा विस्थापन हो जाता है तो बाघों को विचरन करने के लिए 18 किलोमीटर का एरिया मिलेगा जिसमे इंसानी दखल नहीं होगी और हाडोती में पर्यटन के रूप में यह बड़ा हब बनकर उभरेगा.