Supreme Court को कानून के दुरुपयोग पर रोक लगानी चाहिए- P Chidambaram

नई दिल्ली: जामिया नगर हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम तथा 10 अन्य के आरोपमुक्त होने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि मुकदमे से पहले ही कैदी बनाने वाली आपराधिक न्याय प्रणाली संविधान का अपमान है तथा उन्होंने उच्चतम न्यायालय से कानून के आए दिन होने वाले दुरुपयोग को खत्म करने का आग्रह किया.

दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के जामिया नगर हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तन्हा सहित 11 लोगों को शनिवार को आरोपमुक्त कर दिया तथा कहा कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही और इसलिए उसने इन आरोपियों को ‘‘बलि का बकरा’’ बना दिया. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चिदंबरम ने ट्वीट कर पूछा कि क्या आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सबूत था.

पुलिस और अति उत्साही अभियोजक जिम्मेदार:
पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि अदालत का निष्कर्ष : स्पष्ट रूप से ‘नहीं’ है. कुछ आरोपी करीब तीन साल तक जेल में बंद रहे. कुछ को कई महीनों बाद जमानत मिली. यह मुकदमे से पहले कैदी बनाना है. उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि मुकदमे की सुनवाई पूरी होने से पहले नागरिकों को जेल में रखने के लिए एक अयोग्य पुलिस और अति उत्साही अभियोजक जिम्मेदार हैं. उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?

संविधान खासतौर से अनुच्छेद 19 और 21 का अपमान:
कांग्रेस नेता ने पूछा कि आरोपियों ने इतने महीने या साल जेल में बिताए, वे उन्हें कौन लौटाएगा. चिदंबरम ने कहा कि मुकदमे से पहले कैदी बनाने की हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली भारत के संविधान खासतौर से अनुच्छेद 19 और 21 का अपमान है. उच्चतम न्यायालय को कानून के आए दिन होने वाले इस दुरुपयोग पर रोक लगानी होगी. जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा. सोर्स-भाषा