VIDEO: देश में प्राकृतिक जलवायु समाधान को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जा रहा आयोजित, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: देश में प्राकृतिक जलवायु समाधान को बढ़ावा देने के लिए इन दोनों प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. अभी तक 11 स्टेट राउंड टेबल और एक राष्ट्रीय राउंड टेबल का सफल आयोजन किया जा चुका है. खास बात यह है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और कार्बन संचय को बढ़ाने, जैव विविधता संरक्षण तथा स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार के लिए राजस्थान के पूर्व पीसीसीएफ हॉफ डॉ डीएन पांडे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. 

देश में प्राकृतिक जलवायु समाधान को बढ़ावा देने में डॉ. दीप नारायण पाण्डेय की अग्रणी भूमिका
राजस्थान के पूर्व PCCF HoFF हैं डॉ दीप नारायण पाण्डेय
टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में चीफ साइंटिस्ट के रूप में कार्यरत हैं डॉ. पाण्डेय 
जलवायु परिवर्तन से निपटने और कार्बन संचय को बढ़ाने, जैव-विविधता संरक्षण 
व स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार के लिए वैज्ञानिक ज्ञान का कर रहे प्रसार 
पाण्डेय ने अभी तक 11 राज्यों में IFS व राज्य वन सेवा के 800 से अधिक अधिकारियों को किया प्रशिक्षित 
पाण्डेय नेतृत्व में 11 स्टेट राउंडटेबल और एक राष्ट्रीय राउंडटेबल का सफल आयोजन 
इससे 2030 तक भारत में 2.5 से 3 बि. टन अतिरिक्त कार्बन संचय करने के केंद्र के लक्ष्य की प्राप्ति संभव

राजस्थान के पूर्व PCCF हॉफ डॉ. दीप नारायण पाण्डेय वर्तमान में भारत में प्राकृतिक जलवायु समाधान (नेचुरल क्लाइमेट सल्यूशन) को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. डॉ. पाण्डेय टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में चीफ साइंटिस्ट (नेचुरल क्लाइमेट सल्यूशन्स) के रूप में कार्यरत हैं. जलवायु परिवर्तन से निपटने और कार्बन संचय को बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण प्रयास में डॉ. पाण्डेय ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, जम्मू और कश्मीर और मेघालय सहित 11 राज्यों में भारतीय वन सेवा और राज्य वन सेवा के 800 से अधिक अधिकारियों के बीच महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

उनके नेतृत्व में, नेचुरल क्लाइमेट सॉल्युशन्स पर 11 स्टेट राउंडटेबल्स का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया है, साथ ही एक राष्ट्रीय राउंडटेबल्स भी आयोजित किया गया है, जिसमें भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के 9 संस्थानों और 4 केंद्रों को एक साथ लाया गया है. इन गोलमेज सम्मेलनों ने वैज्ञानिक विचार-विमर्श, सर्वोत्तम क्रियान्वयन को साझा करने तथा नेचुरल क्लाइमेट सल्यूशन्स के क्षेत्र में कार्यान्वयन के लिए सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

डॉ. पाण्डेय के नेतृत्व में की गई पहल भारत सरकार के नेशनली डेटरमाइंड कंट्रीब्यूशंस (NDC) के लक्ष्यों को पूरा करने में सीधे योगदान दे रही है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत में 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन को अतिरिक्त संचित करना है. यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य भारत के गंभीर योगदान को रेखांकित करता है. भारत की जलवायु रणनीति में नेचुरल क्लाइमेट सल्यूशन्स की भूमिका और इस क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान, क्षमता बढ़ाना, नीतिगत व क्रियान्वयन को बेहतर करने के लिए जानकारी दी जा रही है. डॉ. पाण्डेय द्वारा परिकल्पित इस “ज्ञान और प्रशिक्षण कार्यक्रम” को द नेचर कंजरवेंसी से समर्थन प्राप्त हुआ है और इसे टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज से संचालित किया जा रहा है. 

इस प्रयास में टीएनसी के डॉ. सुशील सहगल, डॉ. सुदीप्तो चटर्जी और टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के प्रोफेसर शालीन सिंघल की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. नीति और क्रियान्वयन दोनों स्तरों पर कार्यक्रम का गहरा प्रभाव रहा है, जिससे देश भर में एनसीएस रणनीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त हुआ है. अपने नेतृत्व और विशेषज्ञता के माध्यम से डॉ. पाण्डेय वैश्विक जलवायु चुनौतियों से निपटने में विज्ञान और शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को सभी राज्यों के वन विभाग तक पहुंचाते हुए भारत के पर्यावरणीय प्रयासों और जलवायु परिवर्तन समाधान में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.