उन्नाव दुष्कर्म कांड: दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की अर्जी पर सीबीआई का रूख जानना चाहा

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव बलात्कार कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा के निष्कासित नेता कुलदीप सेंगर की अंतरिम रिहाई की मांग संबंधी अर्जी पर बृहस्पतिवार को सीबीआई से अपना रूख बताने को कहा.

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए बांबा की पीठ ने अंतरिम जमानत संबंधी सेंगर के आवेदन पर नोटिस जारी किया और जांच एजेंसी (सीबीआई) से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा. सेंगर ने अपनी बेटी की शादी में भाग लेने के लिए सजा पर अस्थायी रोक लगाते हुए अंतरिम जमानत देने की मांग की है. अदालत ने कहा कि नोटिस.... आवेदन का सत्यापन किया जाए और स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए.’’ अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 16 जनवरी तय की. सेंगर के वकील ने पीठ से कहा कि शादी आठ फरवरी को होगी और उससे जुड़ा एक कार्यक्रम जनवरी में होगा. इससे पहले, एक खंडपीठ के तहत इस विषय को सुन रहे न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था. उच्च न्यायालय को तब बताया गया था कि सेंगर (शादी से जुड़े) कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत मांग रहा है और ये कार्यक्रम 18 जनवरी को शुरू होंगे.

उन्नाव बलात्कार कांड में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए सेंगर द्वारा दायर की गयी अपील उच्च न्यायालय में पहले से लंबित है. उसने निचली अदालत के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले को खारिज करने की दरख्वास्त की है जिसमें उसे दोषी ठहराया गया है. उसने 20 दिसंबर, 2019 के आदेश को भी दरकिनार करने का अनुरोध किया है जिसमें उसे शेष जीवन सलाखों के पीछे गुजारने की सजा सुनायी गयी है. निचली अदालत ने सेंगर को भादंसं की धारा 376 (2) समेत विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था. इस धारा का संबंध ‘किसी जनसेवक द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए बंधक रखी गयी महिला या अधीनस्थ महिला के साथ बलात्कार करने के अपराध’ से है. अभियोजन के अनुसार सेंगर ने 2017 में एक लड़की का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया था. सोर्स- भाषा