नई दिल्ली। बुधवार को खत्म हुई अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों से दुनियाभर के शेयर और कमोडिटी बाजार में हलचल दिखी। प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर इंडेक्स 102.38 के स्तर पर पहुंच गया, जो जनवरी 2003 के बाद अब तक सबसे ऊंचा स्तर है। डॉलर इंडेक्स में आए इस उछाल के चलते तमाम एशियाई शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिल रही है। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है और शुरूआत हल्की गिरावट के साथ होने की संभावना है।
बता दें कि भारतीय शेयर बाजार की शुरूआत भी धीमी होने का अनुमान है। एस्कोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल का मानना है कि फेडरल रिजर्व की ओर से चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी संभावित थी। लेकिन 2017 में ब्याज दरों के तेजी से बढ़ाए जाने की बात से तमाम एशियाई बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिखेगा।
गौरतलब है कि बुधवार को खत्म हुई बैठक में अमेरिकी फेरडरल रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में चौथाई फीसदी का इजाफा किया है। बढ़ोतरी के बाद फेडरल फंड की रेट 0.50 से 0.75 फीसदी हो जाएगी। यह बढ़ोतरी साल की पहली और बीते 10 वर्षों में यह फेडरल रिजर्व की ओर से की गई दूसरी बढ़ोतरी है। इससे पहले दिसबंर 2015 में फेड की ओर से चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। ब्याज दरें बढ़ने का सीधा सा मतलब यह है कि अमेरिका में मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज अब महंगे हो जाएंगे।
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