जयपुर: प्रदेश में गर्मी से पहले होने मत्स्याखेट के ठेके इस बार डेढ़ माह लेट हो गए हैं. ऐसे में मत्स्य पालकों के सामने समय पर सीड (मछली का बच्चा) डालने का संकट हो गया. मत्स्य विभाग अगले माह छोटे-बड़े 125 बांधों में मत्स्य पालन का ठेका देगा. उधर, मत्स्य पालक संगठन ने देरी को देखते हुए डेढ़ माह की लीज माफ करने की मांग की है.
किस बांध का कितने में ठेका (राशि प्रति वर्ष)
बंध उदयसागर (गिर्वा) की रिजर्व प्राइज 475 लाख
बंध आनासागर व उससे जुड़े नाले की रिजर्व प्राइज 165 लाख
बंध बरधा मय नदी तालेड़ा 110 लाख
सोमकमला अंबा 120 लाख
बंध नेवटा 75 लाख
बंध सिलिसेढ़ 75 लाख
बंध कालीसिल 75 लाख
बंध बरैठा 65 लाख
बंध दुगारी 60 लाख
बंध गागरीन 59 लाख
बंध बगन, चित्तौड़गढ़ 55 लाख
बंध सूरवाल, सवाई माधोपुर 50 लाख
बंध पीपलाद, झालावाड़ 45 लाख
बंध अरवड़ 40 लाख
बंध अलनिया 40 लाख
बंध झाडौल, भीलवाड़ा 39 लाख
बंध बडगांव, उदयपुर 31.50 लाख
बंध सरजना, उदयपुर 30 लाख
बंध जगर, करौली 30 लाख
प्रदेश में मत्स्य पालन के लिए मत्स्य विभाग हर साल मार्च के दौरान बांधों को ठेके पर देता रहा है ताकि अप्रेल से बांध में सीड डाला जा सके. इस बार विभाग ने यह प्रक्रिया डेढ़ माह लेट कर दी है. ऐसे में मत्स्य पालकों को भरी गर्मी में सीड डालना पड़ेगा. मत्स्य विभाग ने 23 अप्रेल से निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 13 मई तक जारी रहेगी. विभाग छोटे-बड़े 125 बांधों में मत्स्याखेट के लिए पांच साल ठेके पर देगा. उदयपुर के बंध उदयसागर (गिर्वा) के लिए 475 लाख रुपए रिर्जव प्राइज रखा गया है, जो 124 बांधों में सबसे ज्यादा है.
जलाशयों में मत्स्याखेट के ठेके इस बार डेढ़ माह देरी से
प्रदेश में 13 मई के बाद होंगे बांधों में मत्स्याखेट के ठेके
मत्स्य पालक विकास संगठन का आरोप
मत्स्य विभाग हर बार मार्च में करता रहा है ठेके
डेढ़ माह देरी से ठेके होने के बावजूद सालभर की लीज वसूली जाएगी
जिन बांधों के पूर्व में ठेके वहां सीड डालने का काम हो चुका शुरू
अगले माह होने वाले ठेकों में देरी से डाला जाएगा सीड
जिन बांधों को ठेके पर दिया जाएगा, हर साल रिजर्व प्राइज में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर ठेकेदार को विभाग में जमा करवाना होगा. बड़ी बात तो यह है कि अच्छे मानसून के संकेत मिलने के बाद ठेकेदार उन बांधों को भी ठेके पर लेता है, जिसमें पानी कम है या खाली पड़े हैं. उधर, मत्स्य पालकों का कहना है कि इस बार ठेके देने में विभाग ने डेढ़ माह की देरी की है, ऐसे में विभाग को लीज राशि में डेढ़ माह की कटौती करके लेनी चाहिए ताकि मत्स्य पालकों को कुछ राहत मिल सके.